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Narmada Jayanti 2024 | 16 फरवरी को है ‘नर्मदा जयंती’, जानिए इस विशेष दिन का महात्म्य और पूजा का शुभ मुहूर्त


Narmada Jayanti 2024, Religious, Lifestyle

नर्मदा जयंती 2024 (डिजाइन फोटो)

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सीमा कुमारी

नवभारत डिजिटल डेस्क: भारतीय संस्कृति (Indian Culture) में नदियों को बहुत ही अधिक महत्व दिया गया है। उन्हें मां का दर्जा दिया गया है। मान्यता के अनुसार, जितना पुण्य पूर्णिमा तिथि को गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान से प्राप्त होता है। उसी के समान पुण्य नर्मदा जयंती (Narmada Jayanti 2024) पर नर्मदा नदी में स्नान करने पर मिलता है। मां गंगा की तरह ही मां नर्मदा भी मोक्षदायिनी हैं। सनातन धर्म में कई सारे पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं।

जानिए पंचांग की बात

यहां पर सभी व्रत-त्योहार का अपना-अपना खास महत्व होता है। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में नर्मदा जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाए जाने वाला त्योहार है। पंचांग के अनुसार, नर्मदा जयंती माघ माह के शुक्ल पक्ष के सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह जयंती (Narmada Jayanti 2024) 16 फरवरी, शुक्रवार को मनाई जाएगी।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नर्मदा जयंती नर्मदा नदी के जन्मदिन या उत्सव के रूप में मनाया जाता है। जो पुण्य गंगा नदी में स्नान करने से मिलता है वहीं पुण्य नर्मदा नदी में स्नान करने से भी मिलता है। ऐसे में आइए जानें साल 2024 में नर्मदा जयंती कब है, इसकी महिमा-

क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि फरवरी 15, 2024 को सुबह 10 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन फरवरी 16, 2024 को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा। ऐसे में नर्मदा जयंती 16 फरवरी को मनाई जाएगी।

 नर्मदा जयंती की महिमा

धार्मिक मान्यता है कि, भगवान शिव के द्वारा मां नर्मदा का अवतरण हुआ था। नर्मदा नदी की महिमा का चारो वेदों में वर्णन है। इसके अलावा रामायण और महाभारत में भी इस नदी उल्लेख है। इसी दिव्य नदी के नर्मदेश्वर शिवलिंग विराजमान हैं, जो हिन्दू आस्था का बड़ा केन्द्र माना जाता है। मान्यता है कि इसी नदी के तट पर साधना करते हुए देवताओं और ऋषि-मुनियों ने सिद्धियां प्राप्त की थी।

ऐसे मनाई जाती है ‘नर्मदा जयंती’

नर्मदा जयंती पर सूर्योदय के समय नर्मदा नदी में आस्था की डुबकी लगाई जाती है और स्वास्थ्य, धन और समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है। इस दौरान लोग नदी में फूल, दीपक, हल्दी, कुमकुम आदि अर्पित करते हैं। कई लोग तट पर गेहूं के आटे का दीपक भी जलाते हैं। इसके बाद संध्या के समय नर्मदा नदी की आरती की जाती है।





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