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Encroachment | मनपा की अनदेखी के शिकार हो रहे स्मारक; अतिक्रमण के मकड़जाल में अंबाझरी का विवेकानंद स्मारक


Monuments falling prey to the neglect of Municipal Corporation; Ambajhari's Vivekananda memorial in the web of encroachment

नागपुर. कन्याकुमारी की तर्ज पर स्वामी विवेकानंद का स्मारक तैयार कर पर्यटन की दृष्टि से शहर का वैभव बढ़ाने के लिए वर्ष 2013 में तत्कालीन स्थायी समिति सभापति दयाशंकर तिवारी ने योजना की घोषणा की थी. इसके अनुसार करोड़ों रुपए खर्च कर अंबाझरी के ओवरफ्लो स्थल के किनारे ही 20 फुट की खड़ी प्रतिमा के साथ भव्य स्मारक भी तैयार हो गया किंतु हमेशा की तरह यह स्मारक भी मनपा की अनदेखी का शिकार हो रहा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि न केवल स्मारक के भीतर देखरेख का अभाव है बल्कि बाहर का पूरा परिसर ही अतिक्रमण के मकड़जाल में फंसा हुआ है. यहां तक कि स्मारक के भीतर जाने के लिए वाहन कहां खड़े किए जाएं, पर्यटकों के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है. 

गेट पर ही अवैध कैफेटेरिया, उदासीन हैं अधिकारी

उल्लेखनीय है कि स्मारक के विहंगम दृश्य को देखने के लिए अधिकांशत: शाम के समय पर्यटकों की भीड़ होती है. स्मारक स्थल पहुंचने पर गेट पर ही अवैध रूप से कैफेटेरिया बना हुआ है. हालांकि मनपा के कई वरिष्ठ अधिकारियों का इस मार्ग से आना-जाना लगा रहता है लेकिन उन्हें दिन में भी स्मारक स्थल पर डटा यह अतिक्रमण दिखाई नहीं देता, जबकि इसके पास ही जोनल टीम द्वारा कई बार अतिक्रमण उन्मूलन की कार्रवाई होने का दावा किया जाता है. पर्यटकों के अनुसार स्मारक के भीतर भी कैंटीन बनी हुई है किंतु ऐसा लगता है कि बाहर के कैफेटेरिया संचालकों को लाभ पहुंचाने के लिए ही मनपा ने भीतर के कैंटीन को बंद कर रखा है. 

पुलिस के सामने अतिक्रमणकारियों की दादागिरी

आश्चर्यजनक यह है कि ओवरफ्लो पॉइंट पर बने स्मारक को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है जिससे प्राय: यहां पर पुलिस की गाड़ी भी लगी रहती है और पुलिस के सामने ही अतिक्रमणकारियों की दादागिरी चलते रहती है. आलम यह है कि इन अतिक्रमणकारियों में पुलिस का कहीं भी खौफ दिखाई नहीं देता.

यही कारण है कि धड़ल्ले से पूरे परिसर में सड़कों के किनारे ही अतिक्रमणकारी अवैध व्यवसाय करते दिखाई देते हैं. जानकारों के अनुसार कई बार स्मारक देखने पहुंचे पर्यटकों के सामने वाहन कहां लगाएं? यह प्रश्न बन जाता है. किसी तरह सड़क किनारे वाहन लगाते समय अतिक्रमणकारी ही उन्हें वहां से भगा देते हैं. कुछ कहने-सुनने पर लड़ने के लिए भी तैयार होते हैं. कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि विवाद होने पर पुलिस तो पहुंच जाती है लेकिन अतिक्रमणकारियों को भगाने की बजाय पर्यटकों को ही वहां से भगाया जाता है. 





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