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निशानेबाज़ | अन्य कैदी मन में यही सोचते काश, हरियाणा जेल में होते


अन्य कैदी मन में यही सोचते काश, हरियाणा जेल में होते

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, देश के तमाम अन्य जेलों में सजा काट रहे कैदियों की यही मंशा है कि काश हरियाणा जेल में होते! वजह यह है कि हरियाणा की मनोहरलाल खट्टर सरकार ने एक मनभावन कदम उठाते हुए अपने यहां ओपन जेल कॉन्स्पेप्ट या खुली जेल परिकल्पना की शुरुआत की है. इसके तहत प्रथम चरण में फरीदाबाद और करनाल 2 जिलों को चुना गया है. वहां कैदियों को सलाखों के पीछे नहीं रहना पड़ेगा बल्कि उन्हें 2 बीएचके फ्लैट उपलब्ध कराया जाएगा. वहां कैदी अपने परिवार सहित शिफ्ट हो सकेंगे.’’

हमने कहा, ‘‘यह सचमुच अनोखी पहल है! वैसे ओपन जेल का सुधारवादी फार्मूला फिल्म निर्माता-निर्देशक वी. शांताराम ने अपनी फिल्म ‘दो आंखें बारह हाथ’ में पेश किया था जिसमें खुंखार कैदी खुली जेल में रहते हैं लेकिन जेलर की 2 आंखें उनकी हरकतों पर पैनी नजर रखती हैं. ऐसे ही जयप्रकाश नारायण के सामने आत्मसमर्पण करनेवाले चंबल के डाकुओं (बागियों) माधोसिंह, मोहरसिंह, तहसीलदार सिंह आदि के लिए मध्यप्रदेश के मुंगावली में खुली जेल बनाई गई थी.’’

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पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज वह सब भूल जाइए. यहां सामान्य आदमी को रोटी, कपड़ा, मकान की चिंता लगी रहती है लेकिन हरियाणा के फरीदाबाद में 36 फ्लैट उन कैदियों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिन्होंने जेल की सजा के दौरान उत्कृष्ट आचरण का प्रदर्शन किया था और अपनी अधिकांश सजा पूरी कर ली है. यह प्रयोग सफल रहा तो भविष्य में और फ्लैट उपलब्ध कराए जाएंगे.’’

हमने कहा, ‘‘यूपी की बीजेपी सरकार अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलवाती है और हरियाणा में उसी पार्टी की सरकार कैदियों को 2 बीएचके वाला बढ़िया फ्लैट देती है! यह कैसा विरोधाभास है?’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, ये फ्लैट जेल परिसर के अंदर हैं जिन्हें जेल कर्मचारियों के लिए बनाया गया था. कई फ्लैट वर्षों से खाली पड़े हैं तो सोचा गया कि इनका रिनोवेशन कराके इसमें शराफत से रहनेवाले कैदियों को शिफ्ट कर देते हैं. हो सकता है कि सजा पूरी होने के बाद भी कैदी फ्लैट में रहने के लिए अड़ जाएं जहां किराये, बिजली, पानी का कोई खर्च नहीं उठाना पड़ता. सब कुछ मुफ्त है.’’





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