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कितने खेमों में, किसका दम…

देवास में ‘राजे’ का राज

भाजपा में आज भी दबदबा कायम…

दिलीप मिश्रा

देवास। 1990 से देवास विधानसभा में राजपरिवार का कब्जा है। यह कहे कि देवास में भाजपा की राजनीति महल के इर्द-गिर्द घूमती है, तो गलत नहीं होगा। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि भाजपा की राजनीति में गुटबाजी चरम पर है। जो हाल ही में भाजपा जिलाध्यक्ष की नियुक्ति में देखने को मिली। जहां भाजपा जिलाध्यक्ष के लिए राजेश यादव का नाम पहले पायदान पर था, होना भी लाजमी है क्योंकि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा की देवास में पहली पसंद राजेश यादव है। बावजूद इसके राजेश यादव भाजपा जिलाध्यक्ष नहीं बन पाए, क्योंकि यह पैलेस को पसंद नहीं था। भोपाल से दिल्ली तक सामंजस्य बिठाए गए और देवास भाजपा के दोनों गुटों से बेहतर संपर्क और संबंध होने तथा संघ की पृष्ठभूमि के रायसिंह सेंधव जिलाध्यक्ष बनाए गए। रायसिंह सेंधव के जिलाध्यक्ष बनने के साथ ही शहर में भाजपा के दोनों गुटों के बधाई के फ्लेक्स से शहर पट गया। लेकिन शहर में इस बात की चर्चा फिर गहमा गई कि शहर में भाजपा की राजनीति में महल का दबदबा कायम है।

दो खेमों में नजर आती भाजपा

वर्तमान में देवास में भाजपा दो खेमों में बटी नजर आती है। भाजपा जिला अध्यक्ष के मनोनयन में दोनों गुटों ने अपनी-अपनी ताकत झोंकी, सूत्र बताते हैं भोपाल ही नहीं दिल्ली तक जोर आजमाइश हुई। देवास में एक गुट पैलेस समर्थकों का है तो दूसरा सांसद समर्थकों का। इस बार भाजपा जिला अध्यक्ष के चयन में अपने गुट के व्यक्ति को जिला अध्यक्ष पद पर काबिज करने की बजाय ज्यादा जोर इस बात का नजर आया कि दूसरे गुट के व्यक्ति को जिला अध्यक्ष के पद पर काबिज होने से रोकना।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के सबसे ज्यादा करीबी राजेश यादव का नाम जिला अध्यक्ष के लिए पहले पायदान पर होने की चर्चाएं जोरों पर चलती रही। राजेश यादव देवास शहर में सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी के भी काफी करीबी माने जाते हैं। ऐसी स्थिति में अपना जिला अध्यक्ष बनाने की बजाय राजेश यादव को जिला अध्यक्ष बनने से रोकने के लिए पैलेस ने अपनी ताकत लगाई और अंततः राय सिंह सैंधव भाजपा के देवास जिला अध्यक्ष बनाए गए। रायसिंह सेंधव संघ पृष्ठभूमि के नेता है। वह पूर्व में मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष के अलावा देवास विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। श्री सेंधव हाटपिपलिया विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। श्री सेंधव भाजपा के वरिष्ठ नेता अरविंद मेनन के करीबी माने जाते हैं। स्थानीय स्तर पर दोनों ही गुटों से बेहतर तालमेल के चलते उन्हें भाजपा का जिला अध्यक्ष बनाया गया। उनके भाजपा जिला अध्यक्ष बनते ही देवास में भाजपा के दोनों ही गुटों ने दिल खोलकर रायसिंह सेंधव के भाजपा जिला अध्यक्ष बनने पर सोशल मीडिया और और फ्लेक्स के जरिए बधाइयां दी। शहर में लगे बैनर पोस्टर में सांसद समर्थकों द्वारा लगाए गए होर्डिंग से विधायक की तस्वीर नदारद है, वही विधायक समर्थकों के द्वारा लगाए गए होर्डिंग्स और पोस्टर से सांसद की तस्वीर नदारद है। जो स्पष्ट करती है कि भाजपा में सांसद और विधायक समर्थकों के बीच कुछ अच्छा नहीं चल रहा है।

दोनों गुटों के बीच कितना तालमेल

भाजपा के गलियारों में चाय की दुकान और चौपाल में अब इस बात की चर्चा जोरों पर है कि भाजपा जिला अध्यक्ष रायसिंह सेंधव दोनों गुटों के बीच तालमेल को किस हद तक बरकरार रख पाएंगे, या फिर दोनों गुटों के बीच समन्वय बनाने में सेतु का काम कर पाएंगे, और और भाजपा की गुटबाजी को खत्म कर सभी को एक जाजम पर बिठाने में कितना कुछ कामयाब हो सकेंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

महापौर टिकट में भी बनी थी स्थिति

नगर निगम चुनाव में महापौर के टिकट को लेकर भी ऐसी ही रस्साकशी देखने को मिली थी, देवास में महापौर के लिए पद महिला के लिए आरक्षित था। ऐसे में कई दावेदार सामने आए थे लेकिन अंत में टिकट महल के गरीबी दुर्गेश अग्रवाल की पत्नी गीता अग्रवाल को भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया। जिसे जिताने के लिए महल ने अपनी ताकत झोंकी और करीब 45 हजार 800 मतों से गीता दुर्गेश अग्रवाल ने जीत दर्ज की थी। उस दौरान भी पैलेस ने शहर अपने वर्चस्व का दम दिखाया था।

सभापति चुनाव में भी दिखाया था दम

देवास नगर निगम में सभापति के चुनाव के दौरान भी काफी कुछ गुटबाजी देखने को मिली थी, लेकिन उस दौरान भी पैलेस में अपनी ताकत दिखाई थी और सभापति के लिए विधायक गायत्री राजे पवार के सबसे ज्यादा नजदीकी माने जाने वाले रवि जैन को सभापति बनाया था।

दोनों गुटों के बीच कितना तालमेल

भाजपा के गलियारों में चाय की दुकान और चौपाल में अब इस बात की चर्चा जोरों पर है कि भाजपा जिला अध्यक्ष रायसिंह सेंधव दोनों गुटों के बीच तालमेल को किस हद तक बरकरार रख पाएंगे, या फिर दोनों गुटों के बीच समन्वय बनाने में सेतु का काम कर पाएंगे, और और भाजपा की गुटबाजी को खत्म कर सभी को एक जाजम पर बिठाने में कितना कुछ कामयाब हो सकेंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

महापौर टिकट में भी बनी थी स्थिति

नगर निगम चुनाव में महापौर के टिकट को लेकर भी ऐसी ही रस्साकशी देखने को मिली थी, देवास में महापौर के लिए पद महिला के लिए आरक्षित था। ऐसे में कई दावेदार सामने आए थे लेकिन अंत में टिकट महल के गरीबी दुर्गेश अग्रवाल की पत्नी गीता अग्रवाल को भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया। जिसे जिताने के लिए महल ने अपनी ताकत झोंकी और करीब 45 हजार 800 मतों से गीता दुर्गेश अग्रवाल ने जीत दर्ज की थी। उस दौरान भी पैलेस ने शहर अपने वर्चस्व का दम दिखाया था।

सभापति चुनाव में भी दिखाया था दम

देवास नगर निगम में सभापति के चुनाव के दौरान भी काफी कुछ गुटबाजी देखने को मिली थी, लेकिन उस दौरान भी पैलेस में अपनी ताकत दिखाई थी और सभापति के लिए विधायक गायत्री राजे पवार के सबसे ज्यादा नजदीकी माने जाने वाले रवि जैन को सभापति बनाया था।

दोनों गुटों के अपने अपने दावे..

फिलहाल देवास में भाजपा के दोनों ही गुटों के समर्थकों के अपने-अपने दावे सुनने को मिल रहे हैं। सांसद समर्थक सेंधव को जिलाध्यक्ष बनाने में अपने नेता की भूमिका बता रहे हैं वही विधायक समर्थक अपने नेता की भूमिका बता रहे हैं। लेकिन कुल मिलाकर चौपाल और चौराहों में इस बात की चर्चाएं जोरों पर है कि देवास में ‘राजे’ का राज है, और उन्होंने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया की देवास में भाजपा की राजनीति पर उनका दबदबा कायम है।

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