एल्डरमेन बनने को बांधे थे घुंघरू, बजे नहीं टूट गए

निगम चुनाव को बीते ढाई साल, सरकार नहीं बना पाई एल्डरमेन
देवास के कई नेताओं को अभी भी एल्डरमेन बनने का इंतजार
राजनीतिक संवाददाता, देवास। राजनीति जो दिखाई देता है वैसा कम ही हो रहा होता है। बाहर से देखने पर लगता है कि नेताजी मजे में है। पर नेताजी के पास रहो तो पता चलता है कि सबसे ज्यादा परेशान आत्मा कोई है, तो बेचारा नेता ही है। समर्थक अलग उम्मीदें लगाए बैठे रहते हैं। ऊपर के आकाओं के लिए भी जमकर फील्डिंग करना पड़ती है। मतलब कुल मिलाकर नेताओं का काम बहुत टफ ही है।
ऐसे में पूरे राजनीतिक जीवन में कभी कभार प्रतिष्ठा पाने के अवसर आते हैं, तो सपने भी आने लगते हैं। घुंघरू भी बंधने लगते हैं। वैसे नेताजी के लिए सवाल धन का कम ही होता है। अगर प्रतिष्ठा मिल रही हो तो धन लगाने से भी कई लोग चूकते नहीं हैं। कुछ तो व्यापारी भी इस फील्ड में धन के दम पर जोर लगाते रहते हैं।
ये तो हुई साहित्यिक बातें, अब बात करते हैं उस असली परेशानी की, जिसके लिए आप यहां तक साहित्य पढ़ चुके हैं। दरअसल नगर निगम चुनावों को हुए ढाई साल से ज्यादा समय बीत चुका है। जो लोग टिकट पाने में सफल रहे और बाद में जीतने में भी सफल रहे, उनका जीवन को प्रतिष्ठा प्राप्त करने के बाद मजे में चल रहा है, परन्तु फजीहत उन लोगों की है, जो किसी कारण से टिकट पाने से वंचित रह गए।
अब नगर निगम में उनके लिए एक प्रतिष्ठा का पद होता है एल्डरमेन। हालांकि ये एल्डरमेन का पद देना न देना पूरी तरह से सरकार का विषय है लेकिन नेताओं को अपने आकाओं द्वारा घुंघरू तो बंधवा ही दिए जाते हैं। ऐसे ही नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त तैयार हो जाती है, जो यह मानते हैं कि कहीं न कहीं प्रतिष्ठा का पद हाथ लग जाएगा। इसके बाद पार्टी और निगम के कार्यक्रमों में प्रोटोकाल मिलने लगेगा। कहीं न कहीं अधिकारियों और समाज के बीच भी अलग पहचान मिल जाएगी।
हालांकि पिछले ढाई साल में ऐसा तो कहीं देखने नहीं मिल रहा है कि किसी को अलग से कोई पद देकर नवाजा गया हो। स्थिति तो यह है कि स्थानीय नेताओं की भी ऊपर ज्यादा चल नहीं रही है। पार्टी भी करे तो क्या करे। एक अनार और एक हजार बीमार हैं, किस-किस को बांटा जाए। सत्ता अलग, संगठन अलग, फिर कुछ ऐसे भी हैं, जो दोनों से अलग अपना दम रख रहे हैं। अब ऐसे में किसी बनाएं, किसे नहीं ये उलझन ज्यादा बड़ी हो गई है।
कुल मिलाकर कहानी ये है कि यदि किसी ने एल्डरमेन बनने के सपने देखे थे, तो अब इनको बुरा सपना समझकर भूल जाइये। ऊपर बैठे हमारे राजनीतिक सूत्र बता रहे हैं कि ऊपर वाले भी इस मधुमक्खी के छत्ते में हाल फिलहाल हाथ डालने वाले नहीं हैं। जो ढाई साल में न हुआ, वो आगे भी नहीं होने वाला है। तो आज के लिए इतना ही।
।। इतिश्री ।।
बाकी अगले अंक में…